सरकार बुराई का नियोजन कर रही है : प्रकाश आंबेडकर

January 21,2020

नागपुर : जैसे शराबी शौक पूरा करने के लिए घर के बर्तन व कपड़े बेचने लगते हैं, सरकार भी वर्तमान में वैसा ही कर रही है। ऐसा वंचित बहुजन आघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर ने देश की आर्थिक व्यवस्था को संकट में बताते हुए कहा। आगे उन्होंने कहा है कि केंद्र में सरकार आर्थिक मामले में शराबी जैसा काम कर रही है। वे सोमवार को प्रेस क्लब में मीट द प्रेस कार्यक्रम में बोल रहे थे। आगे बोलते हुवे उन्होंने कहा भारत पेट्रोलियम जैसी ९ कंपनियां आर्थिक मामले में सोने की मुर्गी हैं, उन्हें बेचने का काम किया जा रहा है। सरकार इविल डिजाइन अर्थात बुराई का नियोजन कर रही है। आंबेडकर ने यह भी कहा कि विपक्ष के दल व नेता भी सरकार के विरोध में बोल नहीं पा रहे हैं। जिसके लिए आगामी २४ जनवरी को महाराष्ट्र बंद का आव्हान किया गया है। इसके लिए राज्य में विद्यार्थी व सामाजिक संगठन सरकार के विरोध में बंद प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि २०१४ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनने के कुछ माह बाद ही कच्चे तेल का दाम घटा। सरकार ने ८५ हजार करोड रुपये कच्चे तेल से बचाये। लेकिन पेट्रोलियम पदार्थाें के दाम कम नहीं हुए हैं। सरकार को नये बजट सत्र में १४ लाख करोड रुपये खर्च के लिए आवश्यक है। इकानामिक सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार ११ लाख करोड रुपये जमा हो सकते हैं। लेकिन ३ लाख करोड रुपये जमा करने के संबंध में नियोजन नहीं दिखता है। जनगणना की परंपरागत व्यवस्था के बाद भी एनपआर लाने का औचित्य नहीं दिखता है। ओबीसी जनगणना की मांग से ध्यान भटकाया जा रहा है। नागरिकता संशोधन कानून से लेकर विविध मामले में सरकार ने सहमति नहीं ली है।

आगे उन्होंने कहा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपना संविधान तैयार किया है। उसे लागू करने की तैयारी चल रही है। २००३ में लोकसभा में इस बारे में जानकारी रखी थी। लोकसभा के रिकार्ड में वह जानकारी है। नक्सलवाद के नाम पर विरोध की आवाज दबाने का प्रयास किया जा रहा है। ब्रिटिश काल में भी आदिवासियों को दबाने का प्रयास हुआ था। उनके अधिकार क्षेत्र की संपति लूटन का प्रयास हुआ। अब भी हो रहा है। सरकार में हिम्मत हो तो वह नोट सार्वजनिक करें जो इंदिरा गांधी की सरकार के समय सूरजागढ़ को लेकर लिखा गया था। सावरकर को सम्मान के मामले में परिसंवाद होना चाहिए। सावरकर दोहरी भूमिका में दिखते हैं। क्रांतिकारी और क्रांति के विरोधी। महानगरीय क्षेत्रों में नाइट लाइफ काे मंजूरी देने में आपत्ति नहीं होना चाहिए।